कभी वो मेरे इर्दगिर्द चली
कभी में उसके इर्दगिर्द चला
वो मेरा ख्वाब था या कोई भूली बिसरि हकीकत
मेरे जहन में सदियों तक यही बात चलती रही
मैंने अपना रास्ता बदला
उसने अपना राही
वो किसी कलम से बहकर
किसी किताब के पन्नो में छपती रही
वो कहानी किसी शहर में
बस यही गुमनाम गूंजती रही
– Pooja R. | © Tatva Musings