बेवजह बेहिसाब से हिसाब सब
कितने खाते कितने नाते
ताउम्र साथ चलने के झूठे वादे सब
आज है कल नहीं भी, फिर भी
बेहिसाब हसरते बेहिसाब नाराज़ी
कितने किस्से कितनो के हिस्से
बेवजह सब में बट जाने की साज़िशे सब
हर कोई है ताजिर यहाँ, ना जाने क्या पाने क्या खोने
खुद की ही नीलामी की आज़माइशे सब
– Pooja R. | © Tatva Musings